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श्री पार्श्वनाथ जित् के एक कन्या थी, जिसका नाम प्रभावती था। राजा प्रसेनजित ने, अपनी कन्या को बुद्धिमान बनाने के लिये बड़ा परिश्रम किया था । यह कन्या, धीरे-धीरे सयानी होने लगी। कन्या को बड़ी होगई जानकर, एक दिन राजा-रानी आपस में विचारने लगे-" देवी के समान, इस सुन्दर-लड़की का विवाह हम कहाँ करेंगे ? इसके लायक पति कहाँ मिलेगा ?" । वे, प्रभावती के लायक पति की बड़ी खोज किया करते थे। राजा प्रसेनजित ने, अनेक राजा-महाराजाओं के यहाँ पता लगाया, किन्तु उन्हें प्रभावती के योग्य पति कहीं न मिला।
___ एक दिन सखियों के साथ प्रभावती बाग में टहलने आई । वहाँ, रंग-बिरंगे फूल खिल रहे हैं । वृक्षों पर, मीठे-मीठे फल लदे हुए हैं । बाग में, सुन्दर-सुन्दर लताओं के मण्डप हैं, छोटे-छोटे हौज बने हैं, जिनमें राजहंस तैर रहे हैं। हौजों के किनारे पर सारस के जोड़े चर रहे हैं, वृक्षों पर पक्षियों के झुण्ड मीठे-मीठे शब्दों में सुन्दर-शब्द कर रहे हैं।
प्रभावती, यह सारी शोभा देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थों, कि इतने ही में उन्हें यह गाना सुनाई दिया: