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________________ उतारकर सारथि को इनाम में दे दिये । फिर उस से बोले- मेरा रथ पीछा लौटाओ। ___ रथ, पीछा लौट पड़ा । रथ को पीछा लौटते देखकर, उनके माता-पिता आये और कहने लगेबेटा ! एकदम यह क्या कर रहे हो ? यदि, तुमसे प्राणियों का दुःख नहीं देखा जाता, तो अब तो तुमने उन्हें छुड़वा ही दिया है, फिर चलते क्यों नहीं हो ? श्री नेमिनाथ बोले-किन्तु, आपलोग मुझे जिस सम्बन्ध में जोड़ना चाहते हैं, उससे कहीं अधिक विशाल तथा अत्यन्त-पवित्र-सम्बन्ध बाँधने की मेरी प्रबल-इच्छा हो रही है। इसलिये, मुझे क्षमा कीजिये और इस विषय में अब कोई आग्रह न कीजिये। इस तरह, श्री नेमिनाथ ने अपना विवाह नहीं किया और बालब्रह्मचारी रहे । उनका ब्रह्मचर्य धन्य है और धन्य है उनके विचारों की पवित्रता तथा उच्चता। :१२: राजमती ने, जब यह समाचार सुना, कि श्री नेमिनाथ पीछे फिर गये, तब वे दुःख के मारे
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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