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________________ १४ सारथि बोला - महाराज ! आपके विवाह में रसोई करने के लिये ही, इन सब जानवरों को पकड़ा गया है । ये बेचारे, मरने के भय से चिल्ला रहे हैं । सारथि का यह उत्तर सुनकर, श्री नेमिनाथ बोले - सारथि ! मेरा रथ उन प्राणियों के पास लेचलो | रथ, प्राणियों के पास लेजाया गया। वह पहुंचकर श्री नेमिनाथ देखते हैं, कि किसी को गले से और किसी को पैर से बाँध रखा है, तथा किसी को पींजरे में बन्द कर रखा है, एवं किसी को जाल में फँसा रखा है । यह दृश्य देखकर, श्री नेमिनाथ का हृदय दया से भर आया । उन्हें, संसार का विचार आया और संसार के बाहरी दृश्यों से उनका मोह छूट गया । उनका मन, आत्मा तथा जगत का सच्चा स्वरूप समझने के लिये छटपटाने लगा । उन्होंने, सारथि से कहा- सारथि ! इन सब जानवरों को अभी छोड़ दो । श्री नेमिनाथ की आज्ञा पा, सारथि ने उन सब जानवरों को छोड़ दिया । जानवरों के छूटने से प्रसन्न हो, श्री नेमिनाथजी ने अपने सारे आभूषण
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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