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न्तिसुकुमाल की स्त्रिय, आर्यमहागिरि महाराज के दर्शन करने
आई । वहाँ आकर, उन्होंने अवन्तिमुकुमाल के समाचार पूछे, जिसके उत्तर में मुनिजी ने कहा, कि-" अवन्तिसुकुमाल ने थूहर के वन में जाकर अनशन-व्रत किया है"। यह सुनकर, माता तथा स्त्रिये उन्हें वन्दन करने के लिये थूहर के वन में गईं। वहाँ पहुँचकर वे देखती हैं, कि सुन्दरकुमार के स्थान पर खून से भीजी हुई कुछ हड्डियें पड़ी हैं। यह देखते ही भद्रा बेहोश होगई और स्त्रिये फूट-फूटकर रोने लगों। किन्तु इस से क्या लाभ हो सकता था ? अन्त में, इस दृश्य पर विचार करते-करते उन सब को भी वैराग्य होगया और माता तथा इकतीस-स्त्रियों ने दीक्षा ले ली। केवल एक गर्भवती-स्त्री शेष रही।
इस गर्भवती-स्त्री के एक पुत्र हुआ। उसने अपने पिता की मृत्यु के स्थान पर, उनकी यादगार के लिये, महाकाल नामक एक सुन्दर-मन्दिर बनवाया। आज भी, उज्जैन से थोड़ी दूरी पर अवन्ति-पार्श्वनाथ के नाम से यह मन्दिर मौजूद है। हजारों-यात्री वहाँ जाकर इस कथा को सुनते हैं
और समता के भण्डार अवन्तिसुकुमाल की प्रशंसा करते हैं । ___ हम लोगों से, इस महापुरुष के अपार गुण किस तरह गाये जा सकते हैं ?