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जगड़शाह अतः तुम्हें तो सिरोपाव देना चाहिये, न कि दण्ड ।" यों कहकर एक मूल्यवान पगड़ी और मोतियों की माला पुरस्कार में दी। ____ यह पत्थर, जगड़शाह ने अपने घर के आँगन में जड़वा दिया। एक बार, एक जोशी बाबा जगडशाह के यहाँ भिक्षा माँगने आये । उन्हों ने, यह पत्थर देख कर जगड़शाह से कहा, कि- “बच्चा ! इस पत्थर में बड़े-बड़े मूल्यवान-रत्न हैं, अतः तू इसको तोड़कर उन्हें निकाल ले "। जगड़शाह ने, उन के कहने के अनुसार उस पत्थर को तोड़कर, उसमें से वे रत्न निकाल लिये, जिससे उन्हें पैसे की कुछ भी कमी न रही।
___जगड़शाह के पास, ऋद्धि-सिद्धि तो खूब होगई, किन्तु उनके कोई पुत्र न था। एक कन्या हुई थी, जो विवाह करते ही विधवा होगई । इस से उन्हें बड़ा दुःख पहुँचा । किन्तु इस दुःख के रोने न रोकर, उन्होंने धर्म के कार्य करने शुरू कर दिये और इस तरह अपने आत्मा को शान्ति पहुँचाई।
:४: .. एक बार पारदेश के पीठदेव नामक राजा ने,