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जगड़शाह
एक बार, जगड़शाह का जयंतसिंह नामक एक मुनीम ईरान देश के होर्मज नाम के बन्दरगाह पर गया। वहाँ उसने समुद्र के किनारे पर एक बड़ी बखारी किराये पर ली। उसके पास की बखारी, खंभात के एक मुसलमान-व्यौपारी ने ली। ___ कुछ दिनों के बाद, इन दोनों बखारियों के बीच से, एक सुन्दर-पत्थर निकला। जयन्तसिंह कहते थे, कि यह पत्थर हमारा है और वह मुसलमान व्यौपारी उसे अपना बतलाता था। यों कहते-सुनते, आपस में लड़ाई होगई।
मुसलमान ने कहा- इस पत्थर के लिये मैं यहाँ के राजा को, एक हजार दीनार दूँग
जयन्तसिंह बोले—मैं दो-हजार दीनार दूंगा।
मुसलमान ने फिर कहा-मैं चार-हजार दीनार देकर, इस पत्थर को ले लूंगा।
- जयन्तसिंह ने कहा-मैं पूरे एक लाख दीनार इसके बदले में दे दूंगा। ___ मुसलमान ने कहा-मैं अपनी हठ पूरी करने के लिये इसके बदले में दो लाख दीनार दे डालूँगा।