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________________ खेमा-देदराणी खेमा सेठ बोले, कि-"मैंने तो यह बहुत-थोड़ा ही लिखा है सेठ साहब ! आप कृपा करके इसे तो रहने ही दीजिये। फिर, खेमा उन लोगों को, झोंपड़े की तरह दिखाई देनेवाले अपने घर में लेगया । घर के भीतर एक गुफा थी, जिसमें ले जाकर, उसने वहाँ भरी हुई अपनी सम्पत्ति बतलाई। ___सब लोग, उस सम्पत्ति को देख-देखकर, आश्चर्य करने और सोचने लगे, कि-" अहो! इतने अधिक धन का स्वामी और इस वेश में ? और ऐसे घर में ? खेमा ! तू धन्य है, कि इतनी भारी सम्पदा होने पर भी, तुझे ज़रा-सा मान-अभिमान अथवा मस्ती नहीं है !" फिर, सब ने खेमा से कहा, कि-" खेमा सेठ ! अब इन कपड़ों को निकाल डालो और अच्छे-कपड़े पहन लो ! क्योंकि अब आपको बादशाह के सामने जाना है !" खेमा ने उत्तर दिया, कि-" बादशाह के सामने जाने के लिये, तड़क-भड़कदार कपड़े पहनने की क्या आवश्यकता है ? सेठजी ! हम ग्रामीणलोग तो इसी पोशाक में अच्छे मालूम होते हैं। हमारे लिये, शाल-दुशालों की आवश्यकता नहीं है।" ___चाँपसी-मेहता ने कहा, कि-" सचमुच, सेठ तो आप ही हैं, हमलोग तो केवल आपके गुमाश्ते
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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