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________________ खेमा-देदराणी खेमा ने कहा, कि-"कलेवा करने को मेरे यहाँ पधारिये"। ___चाँपसी-मेहता को निश्चिन्तता हुई, कि इसे किसी सहायता की आवश्यकता नहीं है। फिर, उन्होंने जवाब दिया, कि-" भाई ! हमलोगों को घडी भर भी कहीं ठहरने का अवकाश नहीं है। हम बड़े ज़रूरी काम से जारहे हैं। खेमा ने फिर कहा, कि-" चाहे जो हो, किन्तु आप अपने धर्म-बन्धु का आँगन अवश्य पवित्र कीजिये । ठीक कलेवा के समय पर आपका यहाँ से यों ही जाना कदापि नहीं होसकता।" ___स्वधर्मी-भाई का निमन्त्रण ठुकराया नहीं जासकता था, अतः सब लोग कलेवा के लिये खेमा के यहाँ गये। खेमा ने, रोटी और दही का नाश्ता करवाया। नाश्ते के बाद, महाजनों ने खेमा से जाने की स्वीकृति चाही। खेमा ने कहा-" सेठ साहबो ! अब भोजन करने के समय में थोड़ी देर और है। कुछ देर में ही गरमागरम-भोजन तयार हुआ जाता है, उसे जीमकर आप प्रसन्नतापूर्वक पधारियेगा।"
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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