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खेमा-देदाणी मास के अन्त में, महाजनवर्ग या तो एक-वर्ष तक गुजरात को जिलाने का जिम्मा ले लेगा, अथवा शाह पदवी छोड़ देगा।" ____ भाट ने, वापस जाकर एक-महीने की मुहलत माँगी । बादशाह ने, इसे स्वीकार कर लिया।
अब, चाँपसी-मेहता ने महाजनों को एकत्रित किया और उन्हें सब हाल कह सुनाया। महाजनों ने कहा, कि-" इसके लिये चन्दा करना चाहिये "। तत्क्षण, चाँपानेर के सेठ-साहूकारों की एक लिस्ट बनाई गई और लोग अपने-अपने नामों के सामने दिनों की संख्या लिखने लगे, कि वे कितने दिनों का खर्च देंगे । जब, सब लोग दिन लिख चुके, तो जोड़ लगाने पर मालूम हुआ, कि अभी तो सिर्फ चार ही महीने के खर्च की व्यवस्था हुई है। शेष आठमहीनों के लिये क्या करें ? अन्त में दूसरे ग्रामों से सहायता लेने जाना निश्चय हुआ।
पाटण, उस समय बड़ा भारी शहर था। उस में बड़े-बड़े सेठ-साहूकार तथा श्रीमन्त लोग रहते थे । चाँपसी-मेहता तथा कुछ अन्य प्रतिष्ठित लोग पाटण को चले। पाटण के महाजनों ने इनका बडा स्वागत