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________________ खेमा - देदराणी चाँपसी - मेहता की ! आज इसने तारीफ करतेकरते, उन्हें " भले शाह बादशाह " तक कह डाला । बादशाह ने हुक्म दिया, कि - " भाट को बुलबाओ " । भाट के हाजिर होने पर, बादशाह ने उससे पूछा, कि - " अरे बंबभाट ! तू उस बनिये की इतनी तारीफ क्यों करता है ? " बंबभाट ने उत्तर दिया, कि - " गरीब - परवर ! उनके बापदादों ने बहुत बड़े-बड़े काम किये हैं । मैंने उनकी जो प्रशंसा की है, वह बिलकुल ठीक है ।" बादशाह ने फिर पूछा, कि-“ बादशाह के समान हैं ? " क्या वे शाह भाट ने निवेदन किया, कि - " हाँ खुदावन्द ! जिस प्रकार आप दुनिया का पालन कर सकते हैं, उसी प्रकार वे भी उसे जीवित रख सकते हैं। जब, संवत तेरह सौ पन्द्रहका भयङ्कर अकाल पड़ा था, तब शाह ने ही दुनिया को जिलाया था । । ४ बादशाह ने कहा, कि - " ठीक, तुम जा सकते हो " । बंबभाट चला गया । बादशाह ने, अपने चित्त में यह निश्चय किया, कि मौका पाते ही भाट की इस तारीफ को झूठी साबित करनी चाहिये । IR: गुजरात में, भयङ्कर - अकाल पड़ा । न तो पशुओं
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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