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खेमा - देदराणी
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चाँपानेर के नगरसेट चाँपसी मेहता और सादुलखान उमराव, दोनों एक दिन साथ ही साथ राज दरबार को जा रहे थे । इन्हें रास्ते में एक भाट मिला । उसने नगरसेठ की बड़ी प्रशंसा की और अन्त में कहा, कि - " भले शाह बादशाह " । भाट के मुँह से, यह बात सुनकर, सादुलखान को बड़ा बुरा मालूम हुआ । उसने दरबार में पहुँचकर बादशाह महमूद बेगड़ा से चुगली खाई, कि— 46 हुजूर आली ! यह भिखमंगा भाट आपका दिया हुआ टुकड़ा तो खाता है और तारीफ करता है