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वस्तुपाल-तेजपाल उसका खून करवा दिया । नगरसेठ के लड़के ने इस जुल्म की वस्तुपाल से शिकायत की। वस्तुपाल ने सिद्दीक को उचित-दण्ड देना तय किया। सिद्दीक को जब यह बात मालूम हुई तो उसने अपनी सहायता के लिये अपने मित्र शंख नामक राजा को बुलवा भेजा । जबरदस्त लड़ाई हुई, जिसमें शंख राजा मारा गया और वस्तुपाल की विजय हुई । इसके बाद खेभात शहर में जाकर सिद्दीक का घर खुदवाने पर वस्तुपाल को बहुत अधिक सोना तथा बहुत-से जवाहिरात मिले । कहा जाता है, कि इन चीजों की कीमत तीन-अरब रुपये के लगभग थी।
एक बार दिल्ली के बादशाह मौजदीन ने, गुजरात पर चढ़ाई कर दी। यह समाचार जब वस्तुपाल तथा तेजपाल को मालूम हुआ, तो ये दोनों भाई अपनी बड़ी-भारी सेना लेकर आबू-पहाड़ तक उसके सामने गये । वहाँ भयङ्कर-युद्ध करके इन्होंने मौजदीन के हजारों-मनुष्यों का वध करवा डाला । बेचारा मौजदीन हताश होकर, वापस दिल्ली को लौट गया।
. ये सब लड़ाइयें लड़ चुकने पर उन्होंने समुद्र के किनारे की तरफ चढ़ाई की और वहाँ महाराष्ट्र तक अपनी दोहाई
फिरवाई।