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वस्तुपाल - तेजपाल शुरू होगया । इस लड़ाई में सांगण तथा चामुण्ड दोनों मारे गये और वस्तुपाल की विजय हुई | वस्तुपाल ने उनके लड़कों को गादी दे दी । इस तरह सारे काठियावाड़ में विजय का डंका बजाकर, वस्तुपाल राजा के साथ ही साथ गिरनार गये । अत्यन्त भक्तिपूर्वक वहाँ की यात्रा करके, वे वापस लौट पड़े ।
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भद्रेश्वर का राणा भीम सिंह वीरधवल का कर देनेवाला अधीन राजा था । किन्तु इस समय उसने कर देने से नाहीं कर दी थी । उसकी सेना में, तीन बहादुर लड़नेवाले योद्धा थे। अतः उसे गर्व था, कि मेरा कुछ भी नहीं बिगड़ सकता । वस्तुपाल तथा राणा वीरधवल ने उस पर चढ़ाई कर दी । इस लड़ाई में वीरधवल हार गये, किन्तु इसी समय वस्तुपाल फौज लेकर वहाँ आ पहुँचे । वे बड़ी चतुराई से लड़े और अन्त में विजय प्राप्त कर ही ली ।
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वस्तुपाल यह ज़बरदस्त - विजय प्राप्त करके पीछे लौटे। इसी मौके पर उन्होंने सुना कि गोधरा का घूघुल खूब मदान्ध हो रहा है और अपनी प्रजा को नाना प्रकार के कष्ट दे रहा । यह सुनकर वस्तुपाल ने उसे कहला भेजा, कि - " तुम शीघ्र ही राजा वीरधवल के अधीन हो जाओ " । उसने वस्तुपाल के इस सन्देश पर तो ध्यान दिया नहीं, उलटे एक