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वस्तुपाल-तेजपाल
वे सज्जनों का सत्कार करने और जितने अधिकारी घूसखोर थे उन्हें पकड़-पकड़कर कड़ी सजाएँ देने लगे। इस प्रकार के मुकदमों से उन्हें बहुत-सा धन मिलने लगा, जिस से उन्होंने एक बड़ी सेना तयार की। फिर राज्य का सारा कारोबार कुछ दिनों के लिये तेजपाल को सौंपा और आप सेना लेकर राजा के साथ चले। जिन-जिन ग्रामों के जिमी दारोंने राज्य का कर देना बन्द कर दिया था, उन-उन ग्रामों में जाकर उनसे सब रुपया वसूल किया । जिन जागिरदारों ने किश्तें देना बन्द कर दी थीं, उनसे भी पिछली सब बकाया रकम वसूल कर ली। इस तरह सारे राज्य में फिरकर उन्होंने राज्य का खजाना भर दिया और सब जगह शान्ति तथा व्यवस्था कायम की। ___अब वस्तुपाल ने मिले हुए धन से एक मजबूत-सेना तयार की और पड़ोस के राजाओं को जीतने की तयारी की। ___ उस समय काठियावाड़ में बड़ी अन्धेर फैल रही थी। वहाँ के राजालोग यात्रियों को लूट लेते थे। इसी कारण वस्तुपाल. सब से पहले काठियावाड़ की तरफ को चले और वहाँ के अधिकांश राजाओं को शीघ्र ही अपने वश में कर लिया। यों करते-करते, वे वनथली नामक स्थान पर आये। वहाँ राणा वीरधवल के साले सांगण और चामुण्ड राज्य करते थे। इनके अभिमान की कोई सीमा ही न थी। वस्तुपाल ने उन्हें खूब समझाया, किन्तु वे अधीन न हुए, अतः युद्ध