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________________ श्री नेमिनाथ-तो अपना हाथ लम्बा कीजिये। श्रीकृष्ण ने अपना हाथ लम्बा किया, और श्री नेमिनाथजी ने देखते ही देखते उस हाथ को झुका दिया । फिर, श्रीकृष्ण से बोले-भाई ! अब आपकी बारी है, मैं अपना हाथ लम्बा करता हूँ, इसे झुकाइये । श्रीकृष्ण ने, बड़ी मिहनत की, किन्तु वे हाथ को झुका न सके। इसके बाद श्रीकृष्ण को विश्वास होगया, कि श्री नेमिनाथ अवश्य ही मेरी अपेक्षा अधिक बलवान हैं। श्री नेमिनाथ, अब जवान हो गये थे। एक दिन, माता-पिता ने उन्हें बुलाया और कहा-बेटा ! अब तुम बड़ी उम्र के होचुके हो, अतः यदि तुम अपना विवाह करलो, तो हमें सन्तोष हो जाय । श्री नेमिनाथने कहा-माता-पिताजी ! मैं किसी भी जगह अपने विवाह के योग्य स्त्री नहीं देखता । जब, मुझे अपने विवाह के योग्य स्त्री मिलेगी, तभी मैं अपना विवाह करूंगा। यह सुनकर, उनके माता-पिता ने, विशेष-आग्रह करना छोड़ दिया।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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