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________________ विमलशाह सुनकर, विमलशाह एक दम उठ खड़े हुए और बाघ को वश में करने के लिये तयार होगये । राजा तो यही चाहते ही थे अतः वे कुछ न बोले। शहर में चारों तरफ सन्नाटा फैल रहा था । जिसे जिधर मौका मिला, वह उधर ही भागकर घर में घुस गया। वह सिंह, अकेला ही शहरमें दौड़ता फिर रहा था, कि इतने ही में उसे विमलशाह दिखाई दिये । इन्हें देखते ही शेर दौड़ा और झपाटा मारकर इनके सामने आगया। विमलशाह तो उसकी खबर लेने को तयार ही थे, अतः एक छलाँग मारकर उन्होंने उसके दोनों कान जा पकड़े । बाघ ने छूटने का बड़ा प्रयत्न किया, किन्तु विमलशाह के हाथ ऐसे कमजोर न थे, कि उनमें से कान छूट जाते । अन्त में उस सिंह को लाकर उन्होंने फिर पींजरे में बन्द कर दिया। ___ सारे शहर में, विमलशाह की जय बोली जाने लगी। राजा भीमदेव तथा उनके मंत्रीलोग बड़े निराश हुए। उन्होंने तो विमलशाह की जान लेनी चाही थी, किन्तु उलटी उसकी कीर्ति में वृद्धि होगई। अब क्या करें ? अन्त में, उन्होंने एक दूसरा उपाय सोच निकाला, कि राजमल्ल से विमलशाह को कुश्ती लड़ाया जावे और वहाँ उसका काम तमाम करवा दिया जाय। राजा ने मल्ल को बुलाकर, सब बातें अच्छी तरह से समझा दी। थोड़े दिन बीतने पर, एक दिन राजा ने
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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