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विमलशाह इतनी अधिक ऋद्धि-सिद्धि है ? मेरा वैभव इसके सामने किस गिनती में है ! " यों सोचते हुए, राजा भोजन करके वापस चले गये।
- अब राजा अपने और-और मन्त्रियों के साथ सलाह करने लगे, कि विमल को यहाँ से किस तरह अलग करना चाहिये ? विचार करते-करते, एक मंत्री ने यह तरकीब सुझाई, कि-" महाराज ! जब तक वह गुड़ देने से मरे, तब तक जहर देकर मारने की क्या आवश्यकता है ? ऐसा कीजिये, कि कल ठीक भोजन के समय शेर को छुड़वा दीजिये । इससे सारे शहर में, निश्चित ही त्रास फैल जावेगा। इसी समय विमल को उत्तेजित कर दीजियेगा, अतः वह शान्त न बैठारह सकेगा और शेर को पकड़ने के लिये जावेगा। वहाँ, उसका काम अपने आप तमाम होजायगा।" राजा को यह विचार पसन्द आया।
दूसरे ही दिन, राजा ने सब तयारी ठीक करवा रखी । ज्यों ही विमलशाह आये और राजा को नमन करके बातें करने लगे, ठीक त्यों ही पोंजरे में से शेर बाहर निकाल दिया गया। शेर के छटने से, सारे शहर में हाहाकार मच गया । एक मनुष्य ने, जहाँ राजा और विमलशाह बैठे थे, वहाँ आकर समाचार दिया, कि-" महाराज ! शेर छूट गया है और सारे शहर में उसके कारण त्रास फैल रहा है"। यह