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________________ १० विमलशाह थे, जिससे किसी को वन्दन करने पर, पहला वन्दन उन्हीं को होता था । Ochota विमल की यह स्थिति देखकर, उसके दुश्मनलोग राजा भीमदेव को उसके विरुद्ध उभारने लगे । उन्होंने कहा कि" महाराज ! विमलशाह आपका राज्य लेना चाहते हैं । उन्होंने बड़ी - भारी सेना तयार की है और वे जिनेश्वरदेव के अतिरिक्त और किसी को भी नहीं नमते हैं । " इस तरह खूब उभारे जाने पर राजा भीमदेव को ऐसा जान पड़ा, कि यह बात सच्ची है | अतः उन्होंने विमलशाह का घर देखने की इच्छा से एक दिन कहा, कि – “ मंत्रीजी ! मैंने आपका घर कभी नहीं देखा, अतः उसे देखने की बड़ी इच्छा है " । विमलशाह के मन में कुछ कपट न था, इसलिये वे बोले, कि – “ स्वामी ! वह घर आप ही का है । आप पधारिये और आज भोजन वहीं चलकर कीजियेगा " । राजा, अपने साथ थोड़े-से घुड़सवार और पैदलसिपाही लेकर विमलशाह के घर चले । वहाँ पहुँचकर, जब उन्होंने मन्दिर की बनावट देखी, तो चकित रह गये और जब महल के दूसरे भागों की बनावट देखी, तो अपने दाँतों तले उँगली दबाई । जब विमलकुमार का मजबूत किला देखा, तो उनके हृदय की शङ्का उन्हें सच्ची जान पड़ने लगी । वे । मन में सोचने लगे, कि – “ अहो ! इस विमल के पास
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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