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विमलशाह हो रहे हैं । इन लोगों के हाथ में राज्य की बागडोर है, किन्तु ये क्या शासन कर सकते हैं ?" __ज्यों ही भीमदेव के कान पर ये शब्द पड़े, त्यों ही वे चौंक उठे। उन्होंने विमल से पूछा, कि-" सेठ ! क्या तुम बाण-विद्या जानते हो ? यदि जानते हो, तो इस तरफ आओ"। विमल ने उत्तर दिया, कि-" बाण-विद्या तो आपके समान क्षत्रियलोग जानें, हम तो व्यौपारी कहे जाते हैं, हमको भला वह क्यों आने लगी ?"
यह सुनकर भीमदेव जान गये, कि यह मनुष्य अवश्य कोई बड़ा जानकार है, इसकी बाण-विद्या देखनी चाहिये, कि यह उसमें कितना निपुण है ।यों विचारकर, उन्होंने फिर विमलसे कहा, कि-" सेठ ! विद्या तो जो प्राप्त करे उसकी है। तुम्हें यदि बाण-विद्या आती हो, तो बतलाओ।" विमल ने कहा, कि-" यदि आपको बाण-विद्या देखनी ही हो, तो एक बालक को जमीन पर सुलाओ और उसके पेट पर नागरबेल के एकसौआठ पान रखवाओ। इन पानों में से आप जितने कहें, उतने पान मैं बाण से छेद दूं। ऐसा करते हुए, उस बालक को ज़रा भी चोट न पहुँचेगी। आप जितने कहें, उससे यदि एक भी पान कम या ज्यादा होजाय, तो आप की तलवार है और मेरा सिर । अथवा यदि आप कहें, तो दही मथती हुई स्त्री के कान का हिलता हुआ आभूषण छेद दूं। ऐसा करते समय, यदि उस