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विमलशाह चरणों में उसे रख दिया। वीरमती यह देखकर बड़ी प्रसन्न हुई और थोड़े दिनों में ही उसने विमल के विवाह की तिथि निश्चित करवाई । इसके बाद परिवार को शोभा देने योग्य खूब धूमधाम से विमल का विवाह हुआ और श्रीदेवी घर आई।
विमल और श्रीदेवी, दोनों को समान जोड़ी थी। कोई भी एक, दूसरे से कम न था।
विमल अब ऐसा नहीं रह गया था, कि उसे शत्रु से डरना पड़े । अतः वह मामा का घर छोड़कर पाटण आया। यहाँ आकर उसने अपना भाग्य आजमाना शुरू किया।
- एक दिन वह बाजार में होकर जा रहाथा। वहाँ राजा के सिपाहीलोग निशानेबाजी कर रहे थे । अच्छे-अच्छे योद्धाओं ने निशाना ताका, किन्तु कोई भी ठीक न मार सका। यह देखकर विमल हँसने लगा और ज़ोर से बोला, कि"वाह ! सैनिकलोग हैं तो बड़े-बहादुर ! महाराजा भीमदेव का जाता हुआ राज्य बचा लेने के काबिल ही हैं "। यह सुनकर सैनिकलोग बहुत चिढ़े । इसी समय महाराजाभीमदेव भी वहीं आ पहुंचे। उन्होंने भी निशाना मारा, किन्तु वे भी चूक गये । अतः विमल ने हँसकर कहा, कि" मालूम होता है, यहाँ सब नौसिखिये ही नौसिखिये इकठे