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________________ सकती। उसमें, बड़े-बड़े महल तथा बड़े-बड़े बाजार बनाये गये थे। बड़े-बड़े मन्दिरों तथा बड़े-बड़े चबूतरों का निर्माण किया गया था। यों तो, सारी द्वारिका अत्यत-सुन्दर थी, किन्तु विशेषरूप से श्रीकृष्ण का हथियारखाना अधिक दर्शनीय माना जाता था। ____ एक दिन, श्री नेमिनाथ अपने मित्रों के साथ घूमते-घूमते उस हथियारखाने में आये। उन्होंने, उन सब हथियारों को देखा । इन हथियारों में, एक सुन्दर-शंख भी दिखाई दिया । शंख, श्री नेमिनाथ को अत्यन्त-सुन्दर मालूम हुआ, अतः उन्होंने उसे लेकर बजाने का विचार किया। जब, वे शंख को उठाने लगे, तब उस हथियारखाने के रखवाले ने उनको प्रणाम करके प्रार्थना की, कि-आप, यद्यपि हैं तो श्रीकृष्ण के भाई, किन्तु इस शंख को आप न उठा सकेंगे। इस शंख को उठाने में तो केवल श्रीकृष्ण ही समर्थ हैं । अतः, आप इसे उठाने के लिये, फिजूल परिश्रम क्यों करते हैं ? यह सुनकर, श्री नेमिनाथ हँसे । उन्होंने, गेंद की तरह उस शंख को उठा लिया और बड़े जोर से बजाया । शंख की आवाज सुनकर, सब लोग विचार
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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