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शौरिपुर से थोड़ी दूरी पर, मथुरा नामक एक विशाल-नगर था । इस नगर में, कंस नाम का एक राजा राज्य करता था, जो अत्यन्त-क्रूर था । वह इतना निर्दय था, कि अपने बाप उग्रसेन को भी उसने कैद कर दिया था, तथा उन्हें नाना प्रकार के कष्ट पहुँचाता था। श्रीकृष्ण तथा बलदेव ने, उस दुष्ट-राजा कंस को मारकर, फिर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया । कंस का मरना सुनकर, उसका ससुर जरासन्ध अत्यन्त नाराज हुआ। जरासन्ध बहुत बड़ा राजा था। शौरिपुर का राज्य ऐसा नहीं था, कि वह कंस से लड़कर जीत सके। साथ ही, मथुरा का राज्य भी इतना बलवान न था, कि वह कंस का मुकाबला कर सके। इसी कारण, ये अपने परिवारों को साथ लेकर वहाँ से चल दिये। चलतेचलते, ये लोग काठियावाड़ में पहुँचे । वहाँ, समुद्र के किनारे एक बड़ा नगर बसाया, जिसका नाम द्वारिका पड़ा । श्रीकृष्ण, बहुत बलवान थे, अतः उन्हें द्वारिका के राजा बनाया गया।
:४: द्वारिका-नगर की शोभा वर्णन नहीं की जा