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________________ पेथडकुमार उन्होंने बत्तीस-वर्ष की अवस्था में, अपनी स्त्री सहित ब्रह्मचर्य-व्रत धारण कर लिया और उसे ऐसी शुद्धता तथा दृढ़ता से पाला, कि उनका बड़ा विचित्र-प्रभाव पड़ने लगा। मनुष्य, रोग-शोक से पीड़ित हों और उनका कपड़ा ओढ़ लें, तो वे रोग-शोक मिट जावें । एक बार, जयसिंह की रानी लीलावती को बड़े जोर से बुखार आया, जिससे शरीर में जलन होने लगी। अनेकों उपाय करने पर भी उसे किसी तरह ठण्डक न पहुंची। इसी समय एक दासी ने पेथड़कुमार का वस्त्र लाकर, रानी को ओढ़ा दिया । यह वस्त्र ओढ़ते ही रानी को शान्ति प्राप्त होगई । शान्ति मिलते ही उसे नींद आगई। यह देखकर एक चुगलखोर-दासी ने राजा से कहा, कि-" लीलावती, प्रधान को प्रेम करती है, यही कारण है कि उनका वस्त्र ओढ़कर सो रही है"। राजा, यह सुनकर बड़े नाराज़ हुए और मंत्री को पकड़कर कैद कर दिया तथा रानी को जंगल में लेजाकर मार डालने का हुक्म दे दिया। राजा के एक दम ऐसा हुक्म देने पर, सब को बड़ा आश्चर्य हुआ।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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