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कुमारपाल राज्य-विस्तार, गुजरात में किसी भी राजा ने नहीं किया।
कुमारपाल, अपने गुरु श्री हेमचन्द्राचार्य की बडी भक्ति करते और प्रत्येक कार्य में उनकी सलाह लेतें थे। गुरुराज भी ऐसे थे, कि राजा को ठीक-ठीक सलाह देते और वही करते, जिससे राजा का कल्याण हो। ___ कुमारपाल ने, इन्हीं गुरुराज के कहने से, बाँझमनुष्यों का धन लेना बन्द कर दिया। उनकी, केवल लगान की ही आमदनी प्रति-वर्ष ७२ लाख रुपये थी। अपने शासन के अन्तर्गत, अठारहो देशों में जीवहिंसा न करने का हुक्म दिया। सोमनाथ-महादेव के मन्दिर को ठीक करवाया और दूसरे अनेक छोटे-बड़े मन्दिर तथा प्रजा के लिये उपयोगी स्थान बनवाये । __ तारंगा, इडर, धंधुका वगैरह के मन्दिर इन्हीं के बनवाये हुए हैं। ___कुमारपाल के राज्य में, दुष्काल का कहीं नाम भी न था और न चोर-डाकुओं का भय ही था। सब लोग आनन्दपूर्वक सुख करते थे। अठारहो-राज्य, आपस में मेल करके रहते और शिकार की बन्दी होने के कारण, पशु-पक्षी भी निर्भय होकर विचरते थे।