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________________ कुमारपाल कुमारपाल, दिन-दिन अपना जीवन पवित्र करने लगे और अन्त में उन्होंने अपने मन, वचन तथा काया को अत्यन्त पवित्र बना लिया, जिससे वेराजर्षि कहे जाने लगे। ___ उनके किये हुए शुभ-कार्यों की संक्षिप्त-गणना यों है: १४०० जिन-मन्दिर बनवाये, १६०० पुराने टूटे-फूटे मन्दिरों का उद्धार करवाया। सात-बार तीर्थ यात्रा की, जिसमें पहली-यात्रा में नौलखी पूजा करी । निर्वश मरनेवालों का धन लेना बन्द किया और प्रति वर्ष एक करोड़ रुपया शुभ-मार्ग में खर्च किया । २१ बानभण्डार बनवाये और लाखों-ग्रन्थ लिखवाये । ७२ सामन्तों पर अपनी आज्ञा चलाई और अठारह-देशों में पूर्णरूपेण अहिंसा पलवाई । तीस-वर्ष तक इस राजर्षि ने राज्य किया और इतने समय में सब जगह सुख-शान्ति फैलाई तथा पजा की बड़ी तरक्की की। कुछ दिनों के बाद, उनके गुरुराज की देह छूट गई, अतः वे बड़े दुःखी हुए । इस शोक का उनके शरीर पर बड़ा प्रभाव पड़ा। अब, उनकी अवस्था भी ८१ वर्ष की हो चुकी थी, अतः वे भी मृत्यु को प्राप्त हुए।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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