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कुमारपाल करवाया और धोलका गाँव उन्हें इनाम में दे दिया। सज्जन को सात-सौ गाँवों का सूबा बनाया और वोसिरी को लाट देश का हाकिम बना दिया। उदायन-मंत्री को अपना प्रधान बनाया और उनके लड़के वाग्भट्ट को नायब दीवान नियुक्त किया। श्री हेमचन्द्राचार्य को अपने गुरु के स्थान पर स्थापित किये।
कुमारपाल के गादी पर बैठने के बाद, उनके अधीन राजाओं ने यह मान लिया, कि वे निर्बल हैं। अतः किसी ने कर देने से इनकार कर दिया और किसी-किसी ने उपद्रव करना शुरू किया । किन्तु कुमारपाल बड़े बहादुर थे। उन्होंने अपनी मज़बूतसेना के द्वारा अजमेर के अर्णोराजा को अपने वश में किया। मालवे के बल्लालों को अपना मातहत बनाया
और कोंकण के मल्लिकार्जुन को भी हराकर अपने वश में कर लिया। इसी तरह सोरठके समरसिंह को भी अपने अधीन कर लिया और दूसरे अनेक छोटे-मोटे राजाओं को जीतकर अपने वश में किया। अब, कुमारपाल ने अठारह-देशों में अपनी दुहाई फिरवाई।
कुमारपाल के राज्य की सीमा, उत्तर में पंजाब तक, दक्षिण में विन्ध्याचल तक, पूर्व में गंगा नदी तक और पश्चिम में सिन्धु तक थी। इनके बरावर