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विद्या की साधना कर रहा था । उसे एक ऐसे अच्छे मनुष्य की आवश्यकता थी, जो उसकी साधना में सहायता पहुँचा सके । वह मनुष्य, यदि चतुर न हो, तो विद्या की साधना ठीक हो नहीं सकती, अतः उसने श्रीपाल से अपने पास रहने की प्रार्थना की । श्रीपाल, वहाँ कुछ दिन ठहर गये, जिससे उस मनुष्य की वह विद्या सिद्ध होगई। इससे प्रसन्न होकर, उस मनुष्य ने श्रीपाल को दो विद्याएँ सिखलाई । एक के होने पर मनुष्य पानी में नहीं डूबता और दूसरी के प्रभाव से शरीर पर किसी हथियार की चोट नहीं लगती। ____ श्रीपाल कुमार यहाँ से भी चलदिये। चलते चलते, वे भडौंच के बन्दरगाह पर पहुँचे । वहा धवलसेठ नामक एक जबरदस्त व्यौपारी पाँच-सौजहाजों में माल भरकर विदेशयात्रा को तयार था। श्रीपाल को, दूसरे देशों में भ्रमण करने की बड़ी इच्छा थी, अतः सौ स्वर्ण-मुहर पति-मास किराया देने की शर्त करके वे जहाज में बैठ गये। वायु के अनुकूल होने पर जहाज चल दिये ।
:४: जहाज में, विशेषज्ञ लोग बैठे नक्शे और किताबें देखते हैं, नाविकलोग अपनी पतवारें चलाते हैं, ध्रुवतारा देखनेवाले ध्रुवतारा देखते हैं, निशान पहचाननेवाले