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________________ "बापकर्मी" और मैना ने उत्तर दिया, कि-" आपकर्मी " । राजा सुरसुन्दरी पर बड़े प्रसन्न हुए और मैना पर नाराज । उन्होंने सुरसुन्दरी का विवाह एक राजा के कुँवर से कर दिया और मैना के लिये बुरे-से-बुरा वर ढूँढने का विचार किया। राजा नगर से बाहर घूमने निकले । वहाँ कोढ़ियों का बह दल उन्हें दिखाई दिया। जिन्हें देखते ही देखनेवालों को घृणा हो, ऐसे कोढ़ियों के झुण्ड में से राजा ने उम्बर-राणा को पसन्द किया और मैना का विवाह उसी के साथ कर दिया। फिर राजा ने कहा, कि-" लड़की ! अब अपना आपकर्मीपन बतलाना "। मैना ने उत्तर दिया कि-" बड़ी खुशी से पिताजी ! जो मुझमें कुछ अपनापन होगा, तो दुःख टलकर निश्चय ही मैं सुखी हो जाऊँगी । नहीं तो आपका दिया हुआ कितने क्षण ठहरेगा?" मैना और उम्बर-राणा दोनों चले । मैना ने कहा -"स्वामीनाथ ! गाँव में गुरुराज पधारे हैं । वे निराधारों के आधार और दुःखीजनों के रक्षक हैं।" यह सुनकर उम्बर राणा मैना के साथ उनके दर्शन करने गये। भक्तिभाव से दर्शन कर चुकने के बाद, मैना ने पूछा, कि-"हे गुरु महाराज ! कृपा करके कोई ऐसा उपाय बतलाइये, जिससे मेरे स्वामी का रोग दूर हो और उनका शरीर अच्छा हो जाय"।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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