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__ कोढ़ियों ने, भूखे कुँवर को खाने को दिया । कुँवर की भूख तो दूर होगई, किन्तु कोढ़ियों का अन्न खाने से उसे उम्बर जाति का कोढ़ हो गया। जिस तरह, उम्बरा [वृक्ष विशेष ] के तने की छाल फटी हुई होती है, उसी तरह श्रीपाल कुँचर का शरीर फट गया। सब ने, उसका नाम रख दिया-उम्बर राणा! ____ माता से यह सब कैसे देखा जा सकता था ? रास्ते में किसी ने बात की, फि-"कौशाम्बी में एक वैद्य रहते हैं, वे चाहे जैसी कोढ़ हो, दूर कर देते हैं "। यह सुनकर, रानी कौशाम्बी के लिये चल दी और सब कोढ़ियों से कह दिया, कि-" तुम लोग उज्जैन जाकर ठहरना, मैं तुम्हें वहीं आकर मिलूंगी"।
कोढ़ियों का दल, उज्जैन की तरफ चल दिया।
उस समय, उज्जैन में प्रतिपाल नामक एक राजा राज्य करते थे। उनके दो कन्याएँ थीं। एक का नाम था सुरसुन्दरी और दूसरी का मैना । इन दोनों को राजा ने खूब पढ़ाया-लिखाया। फिर, एक दिन परीक्षा करने के लिये उन्हें राज-सभा में बुलवाया।
राजा ने दोनों कन्याओं से पूछा, कि-" बोलो, तुम आपकर्मी हो या बापकर्मी ?" सुरसुन्दरी ने कहा