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________________ अमरकुमार अमरकुमार ने माता से कहा-मैया ! मुझे मत बेंचो, धन तो आज है और कल नहीं । मुझे बचाओ।" - माता ने कहा, कि-"तू अपने लक्षणों से ही मर रहा है। काम-काज तो कुछ करता नहीं और खाने को अच्छा -अच्छा चाहिये । मैं, तुझे रखकर क्या करूँ ?" ___ अमरकुमार ने बड़ी दीन-पार्थना की, किन्तु माता का वज्र-हृदय जरा भी न पिघला । वहों पर अमरकुमार के काका-काकी खड़े थे। उनसे अमरकुमार ने कहा-"काका ! मेरे माँ-बाप मुझे बेंचते है, अतः आप मेरी रक्षा कीजिये और मुझे अपने यहाँ रखिये। ___ काका-काकी ने कहा, कि-" तेरे माँ-बाप तुझे बेंचते है, इसमें हमारा क्या ज़ोर चल सकता है ? हम तुझे अपने यहाँ रखने में असमर्थ हैं"। . अमरकुमार की बड़ी बहिन वहीं पर बैठी थी । वह, बैठी-बैठी अपने नेत्रों से आँसू टपका रही थी, किन्तु वह भी क्या कर सकती थी ? __ अमरकुमार का हाथ पकड़कर, सिपाहीलोग उसे ले चले। सारे ग्राम में हाहाकार मच गया। लोग कहने लगे, कि-"चाण्डाल माँ-बाप ने पैसे के लोभ में आकर अपना पुत्र बेंच लिया"।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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