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अमरकुमार कुमार को जब यह बात मालुम हुई, तब वह दर्शन करने को गया। इस समय, साधु-महाराज उपदेश दे रहे थे, कि" नवकार-मन्त्र, सब शास्त्रों का सार है । जो कोई सच्चेभाव से इसका स्मरण करता है, उसके सारे दुःख दूर हो जाते हैं।"
उपदेश पूरा हुआ और सब श्रोतालोग जाने लगे। इसी समय, अमरकुमार उन मुनिराज के पास आया और चरणों में गिरकर वन्दन करने के पश्चात् हाथ जोड़कर पूछा, कि-" पूज्य मुनिराज ! मुझ पर दया करके, मुझे महा-मंगलकारी नवकार-मन्त्र सिखलाइये"। साधुजी ने, उसे नवकार-मन्त्र सिखा दिया। __अब, श्रेणिक राजा के सेवकलोग ऋषभदत्त के घर आये और उससे कहा, कि-"तुम अपना पुत्र लाओ और यह धन लो"। ___ ब्राह्मण ने कहा-" अमर ! तैयार होकर इन सिपाहियों के साथ जा"।
अमरकुमार की एक आँख से श्रावण और दूसरी से भाद्रपद की-सी झड़ी लगी थी। वह बोला-" पिताजी ! मुझे बचाओ, इन सिपाहियों को मत सौंपो"।
ऋषभदत्तने कहा, कि-"मैं क्या करूँ ? तेरी माता तुझे दे रही है, इसमें मेरा कुछ भी जोर नहीं चल सकता"।
पादपद की-सा
हियों को मत
सानी माता तुझ