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________________ जम्बूस्वामी ___ जम्बूकुमार यह सुनकर बोले, कि-" ठीक है, तुम सब उस गधे की तरह हो । तुम्हें पकड़ रखना, यह गधे की पूँछ पकड़ रखने के समान ही भूल है। किन्तु, तुम कुलवती होकर ऐसी बातें करती हो, यह ठीक नहीं है।" इस तरह स्त्रियों के साथ जम्बूकुमार का बड़ा वादविवाद हुआ, जिसमें जम्बूकुमार की ही विजय हुई। अन्त में सब स्त्रिये भी, उनके साथ ही साथ दीक्षा लेने को तयार होगई। सबेरा होते ही, जम्बूकुमार ने अपने माता-पिता से दीक्षा लेने की आज्ञा माँगो । मा-बाप ने, वचन दे रखा था, अतः उन्होंने बिना और कुछ कहे आज्ञा दे दी और स्वयं भी दीक्षा लेने को तयार होगये। जम्बूकुमार की स्त्रियें, अपने-अपने माता-पिता के यहा गई और दीक्षा लेने के लिये उनसे आज्ञा माँगी । उनके माता-पिताओं ने उन्हें आज्ञा दे दी और वे स्वयं भी दीक्षा लेने को तयार हुए। राजा कोणिक को जब यह बात मालूम हुई, कि जम्बूकुमार दीक्षा लेते हैं, तो उन्होंने भी जम्बूकुमार को बहुत समझाया। किन्तु जम्बूकुमार अपने निश्चय पर से ज़रा भी न डिगे। प्रभव भी. अपने पाँच-सौ साथियों सहित दीक्षा लेने को तयार हुआ।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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