________________
जम्बूस्वामी पर्वत के बन्दर की तरह नहीं हूँ, कि भूल करके बन्धन में पड़ जाऊँ"। __ प्रभव ने पूछा, कि-" पर्वत के बन्दर की क्या कथा है ? "
जम्बूकुमार कहने लगे, कि-" एक पर्वत पर एक बूढ़ा-बन्दर रहता था। वह बहुत सी बन्दरियों के साथ रहता और आनन्द करता। किन्तु एक दिन वहाँ एक जवानबन्दर आया और उस बूढ़े-बन्दर से उसकी लड़ाई होगई । इस लड़ाई में, बूढ़ा-बन्दर हार गया और भागा। ___ जंगल में घूमते-घूमते, उसे बड़े ज़ोर से प्यास लगी। इसी समय, उसने शीलारस (.एक प्रकार का चिकटा--पदार्थ) झरते देखा । वह समझा, कि यह पानी है । अतः उसने, उसमें मुँह डाला । किन्तु, वह तो उस रस में बिलकुल ही चिपक गया। अब क्या करे ? अपना मुँह छुड़ाने के लिये उसने अपने दोनों हाथ उस रस पर दबाये और मुँह को खोंचने लगा । इस प्रयत्न से, उस का मुँह उखड़ना तो दूर रहा, उलटे उसके हाथ भी उसी पर चिपक गये । इसी तरह उसने अपने पैर उस पर रखे और वे भी चिपक गये। इस कारण, वह बेचारा दुःख भोगता हुआ, मृत्यु को प्राप्त होगया। इसी तरह, सारे सुख-वैभव यानी ऐशआराम शीलारस की तरह हैं । अतः उनमें चिपकनेवाला अवश्य ही नष्ट हो जाता है।"