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________________ जम्बूस्वामी इस समय सब स्त्रियें जाग उठी थीं, वे जम्बूकुमार को दीक्षा न लेने के लिये समझाने लगीं। एक स्त्री ने कहा-" स्वामीनाथ ! आप दीक्षा लेने को तयार तो हुए हैं, किन्तु फिर पीछे से 'वक' नामक किसान की तरह पछताओगे"। प्रभव ने पूछा-"बक किसान की कथा क्या है, वह जरा मुझे बतलाइये तो सही"। __ वह स्त्री कहने लगी, कि-"मारवाड़ में एक किसान ने अनाज की खेती की, जिसमें अनाज खूब पैदा हुआ। फिर, एक बार वह अपनी लड़की के यहाँ गया। वहाँ, उसे मालपुए खाने को मिले । मालपुए उसे बड़े स्वादिष्ट मालूम हुए, अतः उसने पूछा, कि- यह चीज किस तरह बनती है ? ' उत्तर मिला, कि-'गेहूँ का आटा और गुड़ हो, तो यह चीज बन सकती है। उसने, घर आकर, खेत में पैदा हुआ सब अनाज उखाड़ डाला और उसमें गेहूँ तथा गन्ना बो दिया। किन्तु पानी के बिना ये दोनों सूख गये । भला मारवाड़ में इतना पानी कहाँ मिल सकता, कि गेहूँ और गन्ना पैदा किया जा सके ? अब तो वह बेचारा खूब पछताया। इसी तरह मिली हुई चीज खोकर, न मिलने योग्य चीज के लिये जो मिहनत करता है, उसे अन्त में पछताने का समय आता है।" यह सुनकर, जम्बूकुमार ने जवाब दिया, कि-"मैं उस
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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