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________________ जम्बूस्वामी के चित्रों तथा तोरण आदि से सजाया गया । सातवें दिन, जम्बूकुमार का वहाँ बड़ी धूमधाम से उन आठों कन्याओं के साथ विवाह होगया । राजगृही नगरी में ऐसी धूमधाम और ठाट-बाट से और विवाह बहुत ही कम हुए होंगे। विवाह की पहली ही रात्रि में जम्बूकुमार अपनी स्त्रियों सहित रंगशाला (सोने के कमरे में गये । रंगशाला की सुन्दरता वर्णन नहीं की जा सकती । अच्छे-अच्छे मनुष्यों का चित्त उसे देखकर चलायमान हो जाय । वहाँ की मौज - शौक की सामग्री तथा वहाँ के चित्र आदि ऐसे थे, कि जिन्हें देखकर मनुष्य की विषयेच्छा जागृत हो उठे । युवा अवस्था, रात्रि के समय एकान्त स्थान और अपनी विवाहिता जवान स्त्रियें पास होने पर भी जम्बूकुमार का चित्त नहीं डिगा । : ३ : राजगृही - नगरी से थोड़ी दूरी पर एक बरगद का झाड़ था, जिसकी छाया अत्यन्त - सघन थी । इस बरगद के झाड़ के नीचे हद दर्जे की बदमाशी का संगठन होता था । शाम होते ही, उसके नीचे एक के बाद एक मनुष्य आने लगे इन सब ने, अपने मुँह पर नकाब पहन रखे थे और अपने शरीर पर खाकी रंग के कपड़े ओढ़ रखे थे । I
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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