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घोड़ी पर एक लम्बा बाँस बाँधकर उस पर चढ़ गया। नोक पर पहुँचकर वह उस बॉस को जोर से हिलाने लगा। बाँस खूब हिल रहा था, किन्तु इलाची के सिर पर वे सातों-घड़े ज्यों के त्यों रखे थे। ___लोग, यह देखकर आश्चर्य चकित रह गये । वे मार्ग देखने लगे, कि राजा इस पर प्रसन्न होकर अब इनाम दें, अब दें, अब दें। किन्तु राजा कुछ भी न बोले।
इलाची ने तीसरा-खेल शुरू किया।
उसने अपने पैरों में कटारें बाँधी और उन कटारों की नोकके बल रस्सी पर चलने लगा । लोग यह खेल देखकर बड़े प्रसन्न हुए । किन्तु राजा ने अपने मुँह से उसके विषय में एक भी शब्द न कहा ।
तो क्या राजाको ऐसे अच्छे-खेल पसन्द नहीं आते थे ?
नहीं-नहीं ! राजा तो इस समय कुछ और ही विचार कर रहा था । उसने, नीचे खड़ी हुई उस नटकन्या को देखा और उसपर मोहित होकर यों सोच रहा था कि-" यह नट यदि रस्सी पर से गिरकर मर जाय, तो मैं इस कन्या से विवाह कर सकूँ। अतः क्यों