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राजा ने कहा-"आइये नायक ! तुम्हें देखकर बड़ा आनन्द हुआ। तुम यहाँ अपनी सारी विद्या बतलाओ । यदि तुम अपने खेल से मुझे प्रसन्न कर सके, तो मैं बहुतबड़ा-इनाम दूंगा।" ___इलाची ने खेल की तयारी करना शुरू किया । बास गाड़े और उन पर रस्सियां बाँधीं।
इधर, राजा की कचहरी खचाखच भर गई । सब सेठ-साहूकार, नौकर-चाकर तथा छोटे-बड़े और लोग, अर्थात् सारा शहर का शहर खेल देखने को इकट्ठा होगया। राजा की सब रानिये भी झरोखों में बैठकर खेल देखने लगीं।
इलाची ने अब अपना खेल शुरू किया। खेल किस तरह करता है ? ___ वह पहले रस्सी पर चढ़ गया और फिर पैरों में खड़ाॐ पहनी । एक हाथ में ढाल ली और दूसरे में तलवार । अब रस्सी पर चलने लगा। थोड़ी दूर चलकर, वह पीछे की तरफ को लौट पड़ा। लोग आपस में कहने लगे-- “ वाह-वाह ! वाह-वाह ! कैसा अच्छा-खेल हो रहा है ?"
इलाची ने, दूसरा खेल शुरू किया। उसने अपने सिर पर सात-बर्तन एक पर एक करके रखे और बास की