________________
मूला शेठानी जो उस समय लौट आई थीं, यह देखकर बडे विचार में पड़ गई।
चन्दनबालाने माता-पिता दोनों ही को प्रणाम किया और फिर मूला माता से कहने लगीं-" माताजी! आपका मुझ पर बड़ा उपकार है। तीनों लोकों के स्वामी प्रभु-महावीर का मेरे हाथ से पारणा हुआ, यह आपही की कृपा का फल है।"
नगर के लोगों को अब बात मालुम हुई, तब वे झुण्ड के झुण्ड वहां आने लगे । राजा-रानी भी वहां आये और चंदनवाला को धन्यवाद देने लगे।
जिस समय सब लोग धन्यवाद की वर्षा कर रहे थे, उसी समय एक सिपाही आकर चन्दनबाला के पैरों पर गिर पड़ा और रोने लगा।
लोगों ने उससे पूछा-"अरे! आनन्द के समय तु रोता क्यों है ? "। उसने कहा-“भाइयो ?. यह तो राजकुमारी वसुमती है। चम्पानगरी के राजा दधिवाहन की धारिणी नामक रानी की यह कन्या है ! कहा इसका वह वैभव और कहा आज यह गुलामी की हालत ! मैं इनका सेवक था। जब चम्पानगरी नाश की गई तब शता. निक राजा मुझे पकड़ लाये, जिससे मुझे बडा दुःख पहुँ च