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________________ १७ सेट ने फिर सोचा कि कहीं इधर-उधर खेळ रही होगी । किन्तु जब तीसरे दिन भी उन्होंने चन्दनबाला को न देखा, तब बडे क्रोधित हुए और नौकरों को धमकाते हुए उनसे पूछा - "अरे, सच बतलाओ कि चन्द बाला कहाँ है ? जल्दी बतलाओ, नहीं तो मैं तुम सब को बड़ा कड़ा - दण्ड दूँगा” । तब एक वृद्ध स्त्री ने हिम्मत करके सारी बात सच-सच कह दी । यह सुनकर सेठ को अपार - दुःख हुआ । वे बोल उठे - " मुझे जल्दी वह जगह बतलाओ, जहाँ मेरी प्यारी बेटी चन्दनवाला कैद है "। फिर कहने लगे-" आह, ओ दुष्टा - स्त्री ! ऐसा नीच काम करने की तुझे क्या सूझी ? " | उस बुढ़िया ने वह कमरा बतलाया, अतः सेठजी ने तुरन्त उसका दरवाजा खोल डाला । भीतर घुसकर देखते हैं कि चन्दनबाला के पैर में बेड़ी पड़ी है और उसका सिर मुँडा हुआ है। उसके मुँह से नवकार मंत्र की ध्वनि निकल रही है और नेत्रों से आसुओं की धार बह रही है । कमल को कुम्हलाने में कितनी देर लगती है ? चन्दनबाला का सारा शरीर अब तक के कष्टों से कुम्हला गया था । यह दशा देखकर सेठ के नेत्रों से टप-टप आंसू गिरने लगे । वे रोते-रोते बोले – “प्यारी चन्दनबाला ! 1
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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