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________________ इस समय में मूलाने अपना काम शुरू किया। एक नाइ को बुलवाकर, चन्दनबाला के सिर के सारे बाल कटवा डाले । सिर मुंडाने के बाद उसके पैर में बेडिया डाली और उसे दूर के एक कमरे में ले गई। वहाँ उसे खूब मारा-पीटा और अन्त में दरवाजा बन्द कर दिया। फिर क्या हुआ ? फिर, सेठानी ने सब नौकरों को बुलाकर धमकाया कि-" खबरदार ! यदि किसी ने सेठजी से यह बात कही, तो वह कहनेवाला अपनी जान की खैरियत न समझे"। इस तरह नौकरों को भय दिखलाकर, सेठानीजी अपने पीहर को चली गई। शाम होने पर सेठजी घर आये । इधर-उधर देखा किन्तु कहीं भी चन्दनवाला न दिखाई दी । अतः इन्होंने नौकरों से पूछा-"चन्दनबाला कहाँ है ?"। किन्तु सेठानी के भय के मारे किसी ने भी उत्तर न दिया। सेठ ने सोचा कि कहीं इधर-उधर खेल रही होगी। दूसरे दिन चन्दनवाला को न देख, सेठने नौकरों को इकट्ठा कर उनसे फिर पूछा-"चन्दनबाला कहाँ है ?"। उस समय भी किसी ने उत्तर न दियो ।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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