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थोड़ी ही देर में शत्रु-सेना कोट पर चढ़ आई। वहां तलवार से युद्ध होने लगा। इस लड़ाई में कौशाम्बी के लश्कर की विजय हुई।
कुछ सिपाहियों ने जाकर नगर के दरवाजे खोल दिये, जिससे सारी सेना नगर के भीतर घुस आई।
__राजा दधिवाहन अपने प्राण बचाकर भागे, उनका लश्कर भी जी लेकर भाग चला । वे जानते थे कि शतानिक के हाथ पड़जाने पर हम लोगों को मरकर ही छुट्टी मिलेगी।
शतानिक-राजा ने अपनी सेना में घोषणा करवा दी कि-" नगर को लूटो और जो कुछ लेसको, वह लेलो"।
पागल की तरह उद्विम-सिपाहियों ने लूटपाट शुरू कर दी।
सारे नगर में हाहाकार मच गया और चारों तरफ दौड़-धूप तथा चिल्लाहट होने लगी।
रानी धारिणी राजपुत्री वसुमती को ले, राजमहल से निकल कर भाग चलीं।
सारे नगर में शतानिक-राजा ने अपनी दोहाई फिरवा दी।