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________________ श्री ऋषभदेव १७ श्री ऋषभदेवजी ने कहा - " पिताजी की आज्ञा के बिना मैं राजा कैसे बन सकता हूँ ? आप लोग पिताजी के पास जाइये, वे जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगा । सब मिलकर, श्री नाभिकुलकर के पास आये और उनसे अपना दुःख कहा । उन्होंने उत्तर दिया - "ठीक है, ऋषभदेव तुम्हारे राजा बन जावेंगे। " उत्तर सुनकर, सब लोग प्रसन्न हुए और श्री ऋषभदेवजी ने राजा का पद ग्रहण कर लिया । श्री 1 ऋषभदेवजी, इस प्रकार सब से पहले राजा हुए, अतः वे " आदिनाथ " कहलाये । : ७: अब तक, लोग जंगल में बिखरे हुए रहते थे । किन्तु, श्री ऋषभदेवजी के राजा होने पर एक सुंदर शहर बसाया गया, जिसके चारों तरफ मज़बूत कोट बनाया । भीतर, बड़े-बड़े मकान तथा बड़े-बड़े चौक बनाये गये। बड़े-बड़े बाजारों तथा सार्वजनिक - स्थानों का निर्माण हुआ । । इस तरह, जगह-जगह पर ग्राम बसे, तथा नगरों का निर्माण हुआ। देखते ही देखते, सारेदेश में, सर्वत्र सुधारों का प्रचार हो गया ।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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