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श्री ऋषभदेव
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श्री ऋषभदेवजी ने कहा - " पिताजी की आज्ञा के बिना मैं राजा कैसे बन सकता हूँ ? आप लोग पिताजी के पास जाइये, वे जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगा ।
सब मिलकर, श्री नाभिकुलकर के पास आये और उनसे अपना दुःख कहा । उन्होंने उत्तर दिया - "ठीक है, ऋषभदेव तुम्हारे राजा बन जावेंगे। "
उत्तर सुनकर, सब लोग प्रसन्न हुए और श्री ऋषभदेवजी ने राजा का पद ग्रहण कर लिया । श्री 1 ऋषभदेवजी, इस प्रकार सब से पहले राजा हुए, अतः वे " आदिनाथ " कहलाये ।
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अब तक, लोग जंगल में बिखरे हुए रहते थे । किन्तु, श्री ऋषभदेवजी के राजा होने पर एक सुंदर शहर बसाया गया, जिसके चारों तरफ मज़बूत कोट बनाया । भीतर, बड़े-बड़े मकान तथा बड़े-बड़े चौक बनाये गये। बड़े-बड़े बाजारों तथा सार्वजनिक - स्थानों का निर्माण हुआ ।
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इस तरह, जगह-जगह पर ग्राम बसे, तथा नगरों का निर्माण हुआ। देखते ही देखते, सारेदेश में, सर्वत्र सुधारों का प्रचार हो गया ।