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क्यों किया ? अपनी माताओं को जलाने का साहस तेरे चित्त में कैसे हुआ ?"। अभयकुमार ने राजा की वात मुनकर जान लिया, कि पिताजी अपनी भूल स. मझ गये हैं। अतः उसने सब हाल ठीक-ठीक कह सुनाया। __अब चेलणा पर श्रेणिक को अधिक प्रेम होगया । उन्होंने चेलणा के लिये एक सुन्दर-महल बनवाया, सुन्दर-बगीचा लगवाया और दोनों जने आ-' नन्दपूर्वक वहीं रहने लगे।
८: कोणिक बड़ा हुआ, तब उसे राजगद्दी पर बैठने की बड़ी इच्छा हुई। यद्यपि श्रेणिक उसी को अन्त में गादी देने वाले थे, किन्तु कोणिक चाहता था, कि वह श्रेणिक के जीवित रहते हो राजा बन जाय । उसने षड़यन्त्र रचना शुरू किया, जिसमें वह खूब सफल हुआ। राज्य का लोभ क्या नहीं करवाता ? बाप-वेटे
और भाई-भाई को यह शत्रु बना देता है। उसी राज्यलोभ के वश हो, पिता को कैदखाने में बन्द करके, कोणिक स्वयं राजा बन बैठा।
कोणिक इतना ही करके शान्त न हुआ । अपने पूर्व-जन्म के वैर के कारण, उसने श्रेणिक को सदैव दुखी करते रहने का निश्चय किया। उसने जेल के आस-पास