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________________ गये थे । सुज्येष्ठा के हृदय पर इस घटना का बड़ा भारी असर हुआ । विचार करने पर उसे मालूम हुआ, कि इसकी अपेक्षा अधिक ऊँचा-जीवन बिताने की आवश्यकता है । अतः उसने दीक्षा लेली । ___ यों तो श्रेणिक के अनेक रानियें थीं, किन्तु चेलणा उन्हें सब से आंधक प्रिय थी। राजा श्रेणिक, अपना अधिकांश समय उसी के साथ बिताते थे । चेलणा भी अपने पति को खूब चाहती थी। इस तरह, राजा-रानी दोनों आनन्दपूर्वक समय व्यतीत करने लगे। चेलणो को भगवान महावीर का उपदेश बहुत अच्छा लगता था, अतः उसने श्रेणिक को भी वह उपदेश समझाना शुरू किया। चेलणा के समझाने से, राजा श्रेणिक को भी भगवान महावीर पर बड़ी श्रद्धा होगई और अन्त में वे भी भगवान के पक्के भक्त होगये। पति को धर्ममार्ग पर लानेवाली, ऐसी स्त्रिये सचमुच धन्य हैं। पति की सच्ची-सेवा करनेवाली चेलणा को गर्भ रहा। किन्तु उस समय उसे एक बुरी इच्छा हुई, कि-अपने पति के कलेजे का ही मांस खाऊँ। ऐसा बुरा. विचार आते ही, चेलणा को अपने गर्भ के प्रति घणा हो
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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