________________
आता है " । श्रेणिक ने उत्तर दिया-" थोड़ी देर और रास्ता देखने दो, इस बीच में यदि सुज्येष्ठा न आ गई, तो हमलोग रथ लेकर चल देंगे"। श्रेणिक राजा को यह क्या मालूम, कि दोनों बहनें आ रही हैं।
चेलणा और सुज्येष्ठा तयार हो कर सुरंग में चलने लगीं । जब रथ थोड़ी ही दूर रह गया, तब सुज्येष्ठा बोली-“बहिन चेलणा ! जल्दी में मेरा गहनों का डिब्बा वहीं रह गया है"। चेलणा ने कहा-" बहिन ! तुम रथ में बैठो, मैं उसे ले आऊँ"। ज्येष्ठा ने कहा"नहीं बहिन ! तुम रथमें बैठो, मैं अभी जेवर का डिब्बा लेकर वापस आती हूँ"
चेळणा आकर रथ में बैठ गई । सब ने जाना, कि यह सुज्येष्ठा है, अतः रथ को हवा की तरह चलाने लगे।
इधर सुज्येष्ठा आकर देखती है, तो वहा रथ ही नहीं है। वह समझ गई, कि मेरे बदले चेलणा का हरण होगया और मैं यहीं रह गई । इसलिये उसने चिल्लाना शुरू किया, कि-" दौड़ो, दौड़ो, चेलणा का हरण हो गया"।
चेटक राजा के सिपाही दौड़े, किन्तु उनका दौड़ना फिजूल होगया। क्योंकि राजा श्रेणिक बड़ी दूर निकल