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थीं। सदा अच्छे-अच्छे ग्रन्थ पढ़तीं, अच्छे-अच्छे गायन गाती, देवदर्शन को जातीं और प्रतिक्षण धर्म की ही चर्चा करती रहतीं। इन दोनों बहनों की सुन्दरता की प्रशंसा देश-देश में होने लगी।
रमणीय-मगधदेश के शासक महाराजा-श्रेणिक बड़े प्रतापी, अत्यन्त बलवान और बड़े सुन्दर थे। उन्होंने, इन कन्याओं में से एक कन्या के साथ अपना विवाह करने की इच्छा प्रकट की।
राजा चेटक ने उत्तर में कहला भेजा-" हे राजा ! तुम्हारा कुल हमारे कुल की अपेक्षा हलका है, अतः हमारे परिवार की कन्या का विवाह तुम्हारे साथ नहीं हो सकता"।
राजा श्रेणिक को, यह उत्तर सुनकर बड़ा बुरा मालूम हुआ।
वसन्त ऋतु आई । प्रकृति आनन्द से परिपूर्ण हो गई । सुज्येष्ठा और चेलणा, दोनों बहनें हिंडोले पर बैठी हुई आपस में यों बातें करने लगीं।