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हमेशा गरम पानी पीना, किसी आवश्यक कार्य के लिये भी अग्नि न जलाना, और स्त्री के साथ का सम्बन्ध छोड़ देना, ये कार्य तो हमसे नहीं होसकते।" .
अभयकुमार ने कहा-" तो ये रत्न उन लकड़हारे मुनि के होगये, जिन्होंने ये तीनों चीजें छोड़ दी हैं "।
लोगों ने जान लिया, कि-'लकड़हारे-मुनि सचमुच पूरे-त्यागी है, तभी अभयकुमार उनकी प्रशंसा कर रहे हैं । हमलोगों ने नाहक ही उनकी हँसी की और उन्हें चिढ़ाया।' फिर, अभयकुमार ने लोगों को शिक्षा दी, कि अब भविष्य में कोई भी उन मुनि से मजाक न करे और न उनका अपमान ही करे।
: ११: एक बार, राजा-श्रेणिक ने अपनी सभा में पूछा, कि-"सब से अधिक मूल्यवान कौन-सी चीज है ?" किसी ने कहा-हीरा । कोई बोला-मोती । तब अभयकुमार ने कहा-सब से अधिक कीमती मांस है। अभयकुमार का उत्तर सुनकर सब बोल उठे, कि-" यह बात गलत है, मांस तो अधिक-से-अधिक सस्ती-चीज है"। अभयकुमार ने कहा-" अच्छा, मौका आने पर बतलाऊँगा"।
थोड़े दिनों के बाद, अभयकुमार एक सेठ के यहाँ