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________________ थोड़ी देर के बाद ,जब अभयकुमार की बेहोशी दूर . होगई, तो उन्होंने अपने आपको कैदी की दशा में पाया। वे, उसी क्षण समझ गये, कि धर्म का ढोंग रचकर इस ठगिनी ने मुझे धोखा दिया है। ___ उस वेश्या ने उज्जैन पहुँचकर अभयकुमार को चण्डप्रद्योत के सामने हाज़िर किया। चण्डप्रद्योत ने उन्हें कैद कर दिया। राजा चण्डप्रद्योत के यहाँ अनलगिरि नामक एक सुन्दरहाथी था । वह हाथी, एक बार पागल होगया । चण्डप्रद्योत ने अनको उपाय किये, किन्तु हाथी वश में न आया । अब क्या करें ? विचार करते-करते, राजा को अभयकुमार याद आये, अतः उन्हें बुलाकर पूछा--"अभयकुमार ! अनलगिरि को वश करने का कोई उपाय तो बतलाओ"। अभयकुमार ने कहा--"आपके यहाँ, उदयन नामक एक राजा कैद है। उसकी गायन-विद्या बड़ी विचित्र है । यदि, आप उससे गायन करवावें, तो उस गायन को सुनकर हाथी वश में आजावेगा!" राजा ने ऐसा ही किया, जिससे वह हाथी वश में होगया। इस कारण, राजा बहुत प्रसन्न हुए । उन्होंने
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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