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________________ वे चोर है, जिन्होंने इतने गहने लूटने को मिल रहे थे, के न लेकर उस स्त्री को यों ही छोड़ दिया। ___ अभयकुमार ने सोचा-अवश्य ही यह मनुप्य आम का चोर है । उन्होंने, उस मनुष्य को तत्क्षण गिरफ्तार कर लिया । अन्त में, उस मनुष्य ने भी स्वीकार कर लिया, कि मैं ही आम चुरानेवाला हूँ। एक बार उज्जैन के राजा चण्डप्रद्योत ने राजगृही पर बड़े जोर से चढ़ाई की। अभयकुमार ने विचारा, कि-'इसके साथ लड़ाई करने में कोई लाभ नहीं है। दोनों तरफ के लाखों-मनुष्य मरेंगे, फिर भी यह नहीं कहा जासकता, कि जीत किसकी होगो ? इसलिये यही उचित है, कि किसी तरकीब से काम लिया जावे ।' उन्होंने घड़ों में सोने की मुहरें भरवाई और उन्हें चुपके से शत्रु की छावनी में गड़वा दिया। इसके बाद, दूसरे दिन उन्होंने चण्डप्रद्योत को एक पत्र लिखा-" पूज्य मौसाजी को मालूम हो, कि मुझे आपका प्रेम एक-क्षण भी नहीं भूलता। अभी, आप पर एक बहुत. बड़ी आफत आनेवाली है, यही कारण है, कि उससे होशियार करने के लिये, मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ। मेरे पिताजी ने बहुन-सा रुपया देकर, आपकी सेना को अपनी
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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