SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अवश्य ही इधर आऊँगी!" राक्षस ने कहा-"बहुत अच्छा, किन्तु लौटता बार इधर आना जरूर"। फिर वह स्त्री माली के पास पहुँची। माली ने कहा-"तुझे धन्य है ! ऐसी वचन की पालन करनेवाली तो मैंने एक तुझको ही देखा है। जा, तेरी प्रतिज्ञा पूरी हो गई।" स्त्री, लौटकर राक्षस के पास आई । राक्षस ने सोचा'वाह ! यह तो बड़ी सत्यभाषिणी है । इस सत्यवादिनी को कौन खाय ?' फिर वह स्त्री से बोला-" बहिन ! मैं तुझे प्राण-दान देता हूँ"। फिर मिले चोर । उन्होंने सोचा ' यह तो सचमुच अपने वादे की पक्की है। सत्य बोलनेवाली को कौन लूटे १ ' उन्होंने स्त्री से कहा-"जा बहिन ! तू जा, हम तुझे नहीं लूटना चाहते " । वह स्त्री अपने घर आई। यह कथा कहकर, अभयकुमार ने उन लोगों से पूछा, कि-" बतलाओ, उस स्त्री के पति, चोर, राक्षस और माली में अच्छा कौन है ?"। किसी ने उत्तर दिया-माली; जिसने रात्रि के समय जवान-स्त्री के अपने पास आने पर उसे अपनी बहन के समान माना । किसी ने कहा-उसका पति जिसने प्रतिज्ञा पालन के लिये इस तरह की आज्ञा दी। किसी ने कहा-राक्षस: जिसने जवान स्त्री को जीवित छोड़ दिया । इतने में एक आदमी बोल उठा, कि-सब से अच्छे
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy